BJ Bandhu (Bihar Jharkhand Bandhu Association)
🌅 छठ पूजा

छठ पूजा की उत्पत्ति — रामायण से जुड़ी पावन कथा

चौदह वर्षों के वनवास के बाद जब भगवान श्रीराम और सीता माँ का अयोध्या में आगमन हुआ, पूरा नगर आनंद और प्रकाश से भर उठा। उत्सव के बीच दोनों ने आत्मचिंतन और कृतज्ञता का मार्ग चुना और जीवनदाता सूर्य देव की उपासना करने का संकल्प लिया।

भक्ति और शुद्धता से परिपूर्ण सीता माँ ने पावन छठ व्रत धारण किया। उन्होंने यह व्रत बिहार के मुंगेर (प्राचीन मोदगिरि) में, गंगा तट स्थित पवित्र कषर्णी घाट पर संपन्न किया — यहीं सीता माँ द्वारा प्रथम छठ पूजा की परंपरा का शुभारंभ हुआ।

गंगा के निर्मल जल में खड़े होकर सीता माँ ने अस्ताचल और उदयाचल सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया और शुद्धता, शांति तथा मातृत्व का आशीर्वाद माँगा। उनकी अखंड श्रद्धा से प्रसन्न होकर सूर्य देव ने वरदान दिया और शीघ्र ही लव और कुश का जन्म हुआ, जिन्होंने अयोध्या की मर्यादा और आदर्शों को आगे बढ़ाया।

सीता माँ की इस साधना से प्रेरित होकर अयोध्या एवं मुंगेर के लोगों ने भी छठ व्रत को अपनाया। तभी से छठ पूजा जन-जन की आस्था बनकर कृतज्ञता, आत्मशुद्धि और सूर्योपासना का उत्सव बन गई।

प्रथम छठ: कषर्णी घाट, मुंगेर व्रत: सूर्य देव को समर्पित अर्घ्य: संध्या व उषा
कषर्णी घाट, मुंगेर में सीता माँ द्वारा प्रथम छठ पूजा का प्रतीकात्मक दृश्य
कषर्णी घाट, मुंगेर — सीता माँ की प्रथम छठ पूजा की स्मृति