BJ Bandhu
Bihar Jharkhand Bandhu Association
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अभी भोर नहीं हुई थी। आसमान में हल्की सुनहरी लकीरें उभर रही थीं जब सीता देवी ठंडी सुबह में नदी किनारे पहुँचीं। पानी में चाँदनी की परछाई झिलमिला रही थी, और हवा में ठंडक थी जो हड्डियों तक उतर जाती थी। पर उनके चेहरे पर शांति थी — आस्था की दृढ़ता और विश्वास की चमक।

छत्तीस घंटे बीत चुके थे — बिना भोजन, बिना पानी। होंठ सूख चुके थे, शरीर थक चुका था, पर मन अडिग था। यह व्रत उनके लिए नहीं था — यह उनकी संतानों की सुख-समृद्धि, परिवार की शांति, और सूर्य देव की कृपा के लिए था।

आसपास सैकड़ों महिलाएँ जल में खड़ी थीं — कमर तक डूबी हुईं, भीगे आँचल में सूप और दौरा लिए, जिनमें थे फल, ठेकुआ और गन्ने के टुकड़े। कोई पुजारी नहीं, कोई शोर नहीं — बस धीमे स्वर में प्रार्थनाएँ और पानी की लहरों की मीठी ध्वनि। यही है छठ पूजा, हिंदू धर्म की सबसे कठिन, सबसे पवित्र साधना।

🌿 उपवास की आराधना

यह आरंभ होता है नहाय-खाय से — जब भक्त पवित्र स्नान करता है और एक सादा भोजन ग्रहण करता है — कद्दू भात, जो बिना लहसुन-प्याज, शुद्ध वातावरण में बनता है। इसके बाद आता है खरना — उपवास की गहराई का दूसरा चरण। उस दिन केवल गुड़ की खीर खाकर संकल्प लिया जाता है कि अब अगले दिन उगते सूरज तक ना भोजन, ना जल, ना आराम। यही होता है वह निर्जला व्रत, जो मनुष्य की सहनशक्ति और आत्मबल की सबसे बड़ी परीक्षा है।

🌅 सूर्य देव को अर्घ्य

संध्या होते ही संध्या अर्घ्य का समय आता है। महिलाएँ नदी, तालाब या घाट पर जल में उतरती हैं और डूबते सूर्य को जल, फल और दीप अर्पित करती हैं। पानी की सतह पर सुनहरी किरणें चमकती हैं, और हर लहर के साथ एक कामना बहती है — संतान की रक्षा, परिवार का कल्याण, और आभार का भाव। रात गीत-कथा में कटती है, और भोर होते ही उषा अर्घ्य के साथ पूजा का समापन होता है।

🕊️ पवित्रता का संकल्प

कठिनाई सिर्फ व्रत में नहीं, उसकी पूर्ण पवित्रता में है। हर बर्तन, हर दाना, हर भाव शुद्ध होना चाहिए — कोई क्रोध नहीं, कोई असत्य नहीं, कोई अपवित्रता नहीं। यह पूजा किसी पुजारी पर नहीं, बल्कि आत्म-अनुशासन पर आधारित है — आत्मा और ईश्वर के बीच सच्चा संवाद।

💫 निस्वार्थ भक्ति का पर्व

जहाँ भी छठ मनाई जाती है, वहाँ का वातावरण बदल जाता है — घर चमकते हैं, रसोई मंदिर बन जाती है, बच्चे धीमे स्वर में बोलते हैं। यह व्रत अक्सर माताएँ करती हैं — अपने बच्चों और परिवार के लिए। उनकी तपस्या सिखाती है कि भक्ति शब्दों से नहीं, त्याग से सिद्ध होती है

🌸 छठ का संदेश

छठ पूजा बताती है कि सच्ची पूजा वरदान माँगने की नहीं, खुद को योग्य बनाने की साधना है। जब शरीर और मन अनुशासित होते हैं, तो आत्मा उगते सूर्य की तरह दीप्तिमान हो उठती है। इसीलिए छठ — सबसे कठिन, सबसे पवित्र — पूजा मानी जाती है; क्योंकि यह समर्पण में छिपी शक्ति का उत्सव है।